मेरा (नारी) अस्तित्व
मेरा (नारी) अस्तित्व
रूप, रंग,शक्ति, सौंदर्य की सहेली हूँ मैं।
हाँ ! औरत हूँ, एक पहेली हूँ मैं।
महफ़िल में रंग भरती हूँ।
तन्हाई में पल-पल मरती हूँ।
बेटी से माँ का सफर तय करती हूं
चुपके-चुपके तन्हाई में सिसकती हूँ।
सब है साथ मेरे, फिर भी अकेली हूँ मैं।
हाँ ! औरत हूँ, एक पहेली हूँ मैं।
कभी राधा,कभी मीरा कभी द्रौपदी बनी।
त्याग-बलिदान करके भी, सती हुई।
कभी काली, कभी दुर्गा, कभी सावित्री बनी।
युग-युग बीते, कभी पवित्र कभी अपवित्र हुई।
चंचल मन लिए, हठेली हूँ मैं।
हाँ ! औरत हूँ, एक पहेली हूँ मैं।