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Nilofar Farooqui Tauseef

Abstract Inspirational

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Nilofar Farooqui Tauseef

Abstract Inspirational

मेरा (नारी) अस्तित्व

मेरा (नारी) अस्तित्व

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रूप, रंग,शक्ति, सौंदर्य की सहेली हूँ मैं।

हाँ ! औरत हूँ, एक पहेली हूँ मैं।


महफ़िल में रंग भरती हूँ।

तन्हाई में पल-पल मरती हूँ।

बेटी से माँ का सफर तय करती हूं

चुपके-चुपके तन्हाई में सिसकती हूँ।

सब है साथ मेरे, फिर भी अकेली हूँ मैं।

हाँ ! औरत हूँ, एक पहेली हूँ मैं।


कभी राधा,कभी मीरा कभी द्रौपदी बनी।

त्याग-बलिदान करके भी, सती हुई।

कभी काली, कभी दुर्गा, कभी सावित्री बनी।

युग-युग बीते, कभी पवित्र कभी अपवित्र हुई।

चंचल मन लिए, हठेली हूँ मैं।

हाँ ! औरत हूँ, एक पहेली हूँ मैं।


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