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Monika Raghuwanshi

Abstract

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Monika Raghuwanshi

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मेरा लाड़ला

मेरा लाड़ला

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मेरा लाड़ला :-

जाने कब इतना बड़ा हो गया ,

अभी और मन भर देख तो लेती।

कब गोदी से उतर,साइकल दौड़ाने लगा

अभी और उँगली पकड़ चला तो लेती ।

स्वाद भी आ गया तुझे खुद से खाने का

अभी और हाथों के निवाले खिला तो लेती ।

“मैं ट्राई करूँगा”कहते तु सब करने लगा

मम्मा और थोड़ी ‘न्यू थिंगस’सिखा तो लेती ।

लाड़ का है तु ,डाँट भी खा लेता है

अभी और तुझे सबसे बचा तो लेती ।

अकेले जाने दूँ कहीं, मन नहीं मानता

अभी और आँचल में अपने छिपा तो लेती ।

इतनी भी क्या जल्दी थी बड़ा होने की

और तेरा रूप आँखो में बसा तो लेती ।


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