में और मेरी तन्हाई
में और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तनहाई अक्षर मुझसे ये सवाल करती है।
चल उठ आज फिर कुछ खुद से सवाल करते है ?
मैं और मेरी तनहाई अक्षर मुझसे ये सवाल करती हैं,
क्यों जिंदा को जलाया और मुर्दा को बहाया जाता हैं।
क्यों दिखावे की यहाँ दुनिया बनाई जाती हैं,
क्यों हर तरह से रिश्ते को दिखावे मैं जताए जाते है।
बस मैं और मेरी तनहाई अक्षर मुझसे ये सवाल करते है।
मुश्किल मैं निकलने के लिए लोग यहा तरसते हैं,
वही उनकी फोटो निकाल कर लोग मज़े लेते है।
मैं और मेरी तनहाई अक्षर मुझसे ये सवाल करते हैं।
क्यों लोग प्यार , महोब्बत से भरी दिखावे की बाते करते हैं ?
क्यों सही को जूठ और जूठ को सही माना जाता हैं।
मैं और मेरी तनहाई अक्षर मुझसे ये सवाल करते हैं।
मैं और मेरी तनहाई अक्षर मुझसे ये सवाल करते हैं।
क्यों बिछड़ जाते हैं वो लोग जिनसे हम बहुत प्यार करते है।