आज फिर कुछ दूर
आज फिर कुछ दूर
जहां कई लोग जाने से डरते हैं वहा आज कलम से जाते हैं।
चलो आज फिर कुछ दूर जाकर अपने किरदार निभाते हैं ।
जहां आज वेसी दरिंदे कई कलियों को कुचल देते हैं!
लिखे आज फिर ऐसा की कलम से कवच बना देते हैं ।
नही दूर तक जाना सिर्फ अपना किरदार तुझे निभाना है।
इसी तरह चलो आज फिर हम कलम को ढाल बना देते हैं।
आज भी जहां कोमल फूलों को लेकर कई सवाल उठाए जाते हैं।
चलो आज उनके सभी उत्तर भी बिना कहे कलम से लिख देते हैं।
हर घर की कई अन कही कहानियां जहां पढ़ी जाती हैं।
वह कलम ही है जो बिना डरे सब कुछ लिख जाती हैं।