STORYMIRROR

Nayana Charaniya

Others

3  

Nayana Charaniya

Others

बचपन

बचपन

1 min
148


सुबह से शाम तक कलम है साथ में।

रंग रंगबिरंगी स्याही से आज हाथ रंगे है मेरे।


कभी थोड़ा गुस्सा आया तो हंस दिया मैने।

छोटे से बच्चों की हसीं देख खिल गई मैं ।


आज यहां मां से भी बढ़कर कहीं बन गई मैं!

गुस्सा होने पर मारती मां वही प्यार कर गई मैं।


आज बच्चों के साथ बच्चा बन गई मैं!

हंसते खेलते हुए खुद फिर से खिल गई मैं।


किस ने कहा बचपन लौट कर नहीं आता है?

देखो आज बचपन का सपना बन गई मैं।



Rate this content
Log in