बचपन
बचपन
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सुबह से शाम तक कलम है साथ में।
रंग रंगबिरंगी स्याही से आज हाथ रंगे है मेरे।
कभी थोड़ा गुस्सा आया तो हंस दिया मैने।
छोटे से बच्चों की हसीं देख खिल गई मैं ।
आज यहां मां से भी बढ़कर कहीं बन गई मैं!
गुस्सा होने पर मारती मां वही प्यार कर गई मैं।
आज बच्चों के साथ बच्चा बन गई मैं!
हंसते खेलते हुए खुद फिर से खिल गई मैं।
किस ने कहा बचपन लौट कर नहीं आता है?
देखो आज बचपन का सपना बन गई मैं।
