मधुर बंधन
मधुर बंधन


किस डोर से बांधा तूने,
कि सम्मोहक हो बंंधे हम,
इस मधुर बंधन से धन्य हुए,
मन मंदिर सा पावन हो गया,
आत्मा आलोकित, अधर मौन,
हृदय गतिमान, नयन मुखर,
तुझसे जीवन झिलमिल हो,
ये कैसा मधुर रिश्ता है तुझसे,
मन का सौंदर्य देखा हमने,
प्रेम पुष्य खिला हृदय में,
कुछ नहीं भाता तेरे आगे,
पर कुछ नहीं चाहा तूने,
हम समायेे तूझ में जैसे,
चांदनी समायी चांद में।
ऐसा मधुर बंधन है हमारा।