मधुमास बढ़े चलो
मधुमास बढ़े चलो
मधुमास तुम बढ़े चलो आगे सदा यूं ही रहो,
नित्य नई मन में उमंगे जगाते रहो
यूं ही उन्मुक्त गगन में उड़ते चलो,
मधुमास तुम बढ़े चलो आगे सदा यूं ही रहो।
अरुणोदय हुआ तो कंदर्प सा कमल खिला
मुस्तैद हुए सब और कुछ इंद्रजाल सा छा गया
ऐसे ही वासंती प्यार में हमें उड़ा के चलो
मधुमास तुम बढ़े चलो आगे सदा यूं ही रहो।
शीतल सी पवन चली पर्वत से अंबर तक
तरुणी की तरुणाई फैली है सारे मौसम में
पीतांबर संसार को यूं ही करते रहो
मधुमास तुम बढ़े चलो आगे सदा यूं ही रहो।