मदहोश
मदहोश
कीतने मदहोश हो जाते थे वो निगाहें देख कर।
अब तो थक गये हे मैखानेा की राहे देख कर।
रात की मैं भी उतर जाती हे,अब तो दिन का उजाला देख कर।
वो जाम कहाँ से लाऊँ ,जो प्यास बुझा दे मेरी मेरा छाला देख कर।
-
कीतने मदहोश हो जाते थे वो निगाहें देख कर।
अब तो थक गये हे मैखानेा की राहे देख कर।
रात की मैं भी उतर जाती हे,अब तो दिन का उजाला देख कर।
वो जाम कहाँ से लाऊँ ,जो प्यास बुझा दे मेरी मेरा छाला देख कर।
-