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SURENDER Saini Bawaniwal

Abstract

5.0  

SURENDER Saini Bawaniwal

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मौसम

मौसम

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मौसम सर्द हो गया

चलने लगी ठंडी हवाएँ

देखो कैसे गिर रही

ये बर्फ मस्तिष्क -पटल पर।


दिन खिला कुछ उजला सा

हर तरफ श्वेत बगुला सा

सभी जीव -प्राणी सिहरे से

सूर्य का टुकड़ा भी अंजुला सा।


मौसम का मिज़ाज़ सर्द है

भावनाओं में ज्वलंत ऊष्मा

पुराने तार जो छिड़ गए

बिता वक़्त उनमें हुआ रमा।


कुछ बात है इस शीत में

मेरे हमदम मेरे मीत है

धरती पर कोसों तक फैले

रजत के से नवनीत में।


अच्छा है मौसम बदल जाते हैं "उड़ता "

बदलाव में ही जीत है।


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