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Meena Singh "Meen"

Inspirational Others

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Meena Singh "Meen"

Inspirational Others

मौसम-ए-बहार

मौसम-ए-बहार

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सुनहरी-सी खिली धूप में खिल रहा है मेरा मन।

लिए मौसम-ए-बहार आया है बसंत मनभावन।


जैसे भँवरा उड़-उड़ गुनगुनाए कोई प्रेम-गीत,

फूलों से करें बातें बन जाए उनका मन-मीत।


कोमल ओस की ये बूँदें बिखरी हैं जैसे मोती,

उदीयमान कुछ ऐसे-जैसे मंदिर में दिव्य ज्योति।


चहूँ दिश फैली उजियाली आई लौट खुशहाली,

सरसों के खेत झूमे फसलों में छाई हरियाली।


मन मेरा झूमता है बन कर रंग-बिरंगी तितली,

हरियाली की ओढ़ चादर प्रकृति फिर से खिली।


फूटती हैं नव-कोपल बागों में कूकती हैं कोयल,

प्रकृति के नव-सृजन से चारों तरफ है हलचल।



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