STORYMIRROR

S Ram Verma

Abstract

4  

S Ram Verma

Abstract

मौन ।

मौन ।

1 min
81

मन के गागर में डुबकी 

लगा कर बैठा ये मौन


चिंतन की स्मृति  

में विस्मृत ये मौन


अंतर्मन की गहराई 

को नाप रहा है ये मौन


जब जब बहता है 

 ये रूठा हुआ मौन


तब सारे कष्ट झेल 

जाता है ये मौन

 

फिर भी अभिव्यक्त 

कहाँ हो पाता है ये मौन !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract