मौन
मौन
मौन तो, केवल मन से है।
जीवन की आपाधापी में,
कलह,
क्यों........?
मन-मन है।
मौन तो,
केवल मन से है।
कौन जीत गया।
कौन हार गया।
एक लड़ रहा।
एक तैयार खड़ा।
यह सारी,
क्या........?
भागमभागी है।
जो चुप न रहा।
जो कहता ही रहा।
यह शब्द भी,
बहुत खुरापाती है।
जो समझ गया।
और मौन रहा।।
मन को मथ ,
ज्ञान रत्न वो ढूंढ गया।
शोर -शोर में सब गया।
मन को तो, कुछ न मिला।
जीवन मंथन,
जब-जब किया।
मौन को, मन में जब धरा।
लेश यहीं ही बाकी है।
शेष यहीं ही बाकी है।।
मौन तो,
केवल मन से है।
मौन तो केवल मन से है।।
