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Richa Richa

Romance

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Richa Richa

Romance

मौन सी गुज़ारिश

मौन सी गुज़ारिश

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जो आँखों की मैली किरचों हो, पर झांकते झरोखे सा कुछ दिखाई ना दे

जो सुबह की फैली धूप हो, फिर भी कुछ रोशनी सी सुनायी ना दे.. 

यूँ आना मौन हो के मेरे पास तुम कि हो शोर ख़ामोशियों का, 

पर दूर तक कोई तन्हाई दिखाई ना दे..

अच्छा जब आओ तो ले आना मेरे कुछ अधूरे से ख्वाब

कि कोशिश होगी पूरा करने की फिर से पर ध्यान से

कि बंद होठों से खुले आँखों का ख्वाब गवाही ना दे...

और हाँ वो जो बिखरे हुये थे ना कुछ बाल मेरे,

मेरी ही बालियों से उलझ कर समेट रखूंगी फिर से हो उंगलियों

और बालियों की गुत्थी हो और ये बस तुम्हें उलझायी ना दे... 

जब आओ तो बस मैं, तुम और मौन हो बाकी किसी शिकवे की दुहाई ना दे 

कि बहुत हो गया अब बस मुझे मेरे लम्हों की भरपाई ही दे दे.!


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