माँ
माँ
फ़रिश्ते ख़्वाबों में आते हैं रोटियाँ ले कर,
देकर ये दिलासा सो गयी वो भी अपना भूखा पेट लेकर,
करती रही नींद में भी अपने उस पालनहारे से विनती,
की प्रभु आ जाना तुम ही कोई ख्वाब बनकर,
न होगी कोई अब और कोई विनती ,
की बच्चे न जागेंगे अपना सपना तोड़कर,
डर हैं उन्हें भी की टूटी जो निंद्रा ,
तो फिर सोना पड़ेगा भूखे पेट होकर,
करती हूँ बार- बार विनती प्रभु जी,
आ जाना तुम ही कोई फ़रिश्ता बनकर,
सुन के ये आरजू प्रभु कभी चुप्प तो कभी मुस्काएं,
क्या मैं हूँ फरिश्ता जब ऐसी है माएं ????
समेट कर उसकी चिंता देने को आशीष प्रभु ने अपने हाथ फैलाएं,
न रहेंगे तेरे बच्चे कभी भूखे जब हैं इस जगत में तेरे जैसी माएं