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Laxmi Yadav

Inspirational

4  

Laxmi Yadav

Inspirational

मौन हूँ, पर अनभिज्ञ नहीं....

मौन हूँ, पर अनभिज्ञ नहीं....

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मैं काल चक्र हूँ, 

जो बनता इतिहास हूँ, 


सतयुग में धर्म का देकर स्वप्न में छलावा, 

सत्य वादी हरीश चंद्र से शूद्र के यहाँ जल भरवाया, 


द्वापर युग में पाप धरती से ना सहा या, 

अग्नि परीक्षा लेकर भी सिया को उर में समाया, 


त्रेता युग में जब लगी द्रौपदी दाव पर, 

मूक हुआ तब धर्म- गदा- गांडीव

 बस चला दाव चीर पर, 


गंगा पुत्र भीष्म हूँ, धृतराष्ट्र नहीं, 

मैं भले मौन रहा पर अनभिज्ञ नहीं, 

क्योंकि मैं कालचक्र हूँ जो बनता इतिहास है, 


कलियुग में देख लिया 

निर्भया की ध्वस्त होती अस्मत, 

सह लिया प्रियंका की जलती किस्मत, 

पी लिया मैंने हलाहल

 अब तो छलके अमृत मधु कलश, 


फिर भी मैं मौन रहा

जिंदा रही 

बस इस युग में भी कशमकश, 


क्योंकि मैं कालचक्र हूँ जो बनता इतिहास हूँ, 

इसीलिए मौन हूँ पर अनभिज्ञ नहीं। 



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