मौन हूँ अनभिज्ञ नहीं
मौन हूँ अनभिज्ञ नहीं
जानता हूँ इस जगत में फूल की उम्र कितनी है,
और तुम्हारे दिल में मेरे लिये फ़िक्र कितनी है,
इसलिये हवन कुंड की ज्वाला का यज्ञ नही हूँ मैं,
तेरे लिये मौन हूँ लेकिन अनभिज्ञ नहीं हूँ मैं।।
मौन ही हैं मेरा साक्षी उस प्रत्येक क्षण का,
वातावरण के आवरण में प्रत्येक कण का,
तेरा मेरा साथ कब तक कोई भाग्य नहीं हूँ मैं,
तेरे लिये मौन हूँ लेकिन अनभिज्ञ नहीं हूँ मैं।।
मौन अदम्य शक्ति है मौन हैं आगाज़ भी,
मौन अनन्य भक्ति है मौन हैं आवाज़ भी,
मौन है अंतिम सारथी फिर भी सर्वज्ञ नहीं हूँ मैं,
तेरे लिये मौन हूँ लेकिन अनभिज्ञ नहीं हूँ मैं।।