STORYMIRROR

Talat Jamal

Abstract Tragedy Fantasy

3  

Talat Jamal

Abstract Tragedy Fantasy

मैनें भी कविता की है।

मैनें भी कविता की है।

1 min
332

कुछ याद करके नम मैंने 

आँखें की हैं 

सुकून की चाहत में जज़्बातों की 

आज़माइश की है 

तनहाई में तफ़सील से खुदा की 

इबादत की है 

खलिश जो थी दिल में फकत उसकी 

नुमाइश की है 

इक अर्से बाद 'तलत' मैंने भी 

कविता की है 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract