मैनें भी कविता की है।
मैनें भी कविता की है।
कुछ याद करके नम मैंने
आँखें की हैं
सुकून की चाहत में जज़्बातों की
आज़माइश की है
तनहाई में तफ़सील से खुदा की
इबादत की है
खलिश जो थी दिल में फकत उसकी
नुमाइश की है
इक अर्से बाद 'तलत' मैंने भी
कविता की है
