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Anamika anoop Tiwari

Romance Inspirational

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Anamika anoop Tiwari

Romance Inspirational

मैं तुम्हारी प्रतिरूप हूं

मैं तुम्हारी प्रतिरूप हूं

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मैं हर रात लिखती हूं एक पाती प्रेम की

तुम्हारे लिए

जानती हूं तुम मुझे हर रोज़ पढ़ते हो

कलम उठते ही धड़कन बढ़ जाती है

आँसू है की रुकते नहीं

क्या करूँ ?

पीड़ा से भर उठती हूं क्योंकि जो भी लिखा,

वो इन कमबख्त आंसुओं ने मिटा दिया

सांसे तेज़ होती हैं..फ़िर कलम उठाती हूं

आँसुओ को आगाह करती हूं, रुक जा..अब ना मिटा


प्रिय


पहलू में रखे तुम्हारी कमीज़ की सिलवटें सीधी करती हूं

यादों के समुंदर में गोते लगाती, उन लम्हों को याद करती हूं

रखती हूँ उन यादों को संभाल कर

आँखे बंद करती हूं तुम्हारें अक़्स को महसूस करती हूं.

तुम्हें मैं याद तो हूं?? ख़ुद से नादान सवाल करती हूं

मुझे छोड़ कर जाते हुए ,दर्द तो तुम्हें भी हुआ होगा,

छिप छिप कर तुमने भी ख़ूब रोया होगा.

तुम्हारे लिए

आज मैं वहीं गुलाबी साड़ी पहनी,

काजल लगाया, बिंदिया लगा कर आईने में निहार रही थी

पीछे देखा..तुम ख़ुशी से मुस्कुरा रहे थे

जानती हूं..अगर मैं तुम्हारा दर्द हूं तो 

मैं ही तुम्हारा सुकून हूं

मैं तुम्हारी विधवा नहीं

मैं तुम्हारा प्रतिरूप हूं।




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