अतीत का आवरण ओढ़े वर्तमान में जीती हूं, थोड़ा बहुत लिखती हूं, बहुत ज़्यादा पढ़ती हूं.. ना किसी से द्वेष, ना किसी से ईर्ष्या.. प्रेम से भरा एक कोना हैं मेरा, जिस में..मैं रहती हूं।।
रह गया जीवन में तेरी यादों का ठौर चलती रही तपिश इश्क का दौर रह गया जीवन में तेरी यादों का ठौर चलती रही तपिश इश्क का दौर
दर्द का मरहम लगाए चुभन से संतुष्ट मैं कांटा हूं जो मेरे बागीपन का रूप हैं। दर्द का मरहम लगाए चुभन से संतुष्ट मैं कांटा हूं जो मेरे बागीपन का रूप ...
प्रेम....तू ऐसा क्यों हैं? ना जीने देता, ना मरने प्रेम....तू ऐसा क्यों हैं? ना जीने देता, ना मरने
तुझमें समाने की कोशिश करती हूं तुझे फ़िर पाने की कोशिश करती हूं! तुझमें समाने की कोशिश करती हूं तुझे फ़िर पाने की कोशिश करती हूं!
मैं हर रात लिखती हूं एक पाती प्रेम की तुम्हारे लिए मैं हर रात लिखती हूं एक पाती प्रेम की तुम्हारे लिए
दर्द से भरी हूं, मैं ज़िंदगी हूं गौरवान्वित हूं मैं नारी हूं। दर्द से भरी हूं, मैं ज़िंदगी हूं गौरवान्वित हूं मैं नारी हूं।