अतीत का आवरण ओढ़े वर्तमान में जीती हूं, थोड़ा बहुत लिखती हूं, बहुत ज़्यादा पढ़ती हूं.. ना किसी से द्वेष, ना किसी से ईर्ष्या.. प्रेम से भरा एक कोना हैं मेरा, जिस में..मैं रहती हूं।।
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