मैं तिरंगा हूं हाँ, मैं तिरंगा हूँ
मैं तिरंगा हूं हाँ, मैं तिरंगा हूँ


मैं तिरंगा हूं,
हाँ मैं वही तिरंगा हूँ,
जिसे तुमने जलाकर राख कर दिया था,
आज़ाद होने से पहले ही मार दिया था
मैं तो तुम्हारे देश की शान था
ना फिर मेरे साथ ऐसा क्यूं,
तुम तो मेरे ही रंग के कपड़े
पहनकर घुमते थे ना,
फिर उन रंगों का क्या हुआ,
मुझसे मेरा अस्तित्व क्यूं छीना,
जरा देखो ,मैं तिरंगा हूं,
हाँ, मैं वही तिरंगा हूँ
ना मैं आज हूं, ना ही कल,
ना किसी का समावेश हूं,
मैं तो हिंदुस्तान का हिस्सा हूं,
जरा देखो, मैं तिरंगा हूं,
हाँ, मैं वही तिरंगा हूँ
मैंने तो 15 August का इंतजार करा है,
कब सब मुझे अपनी आँखों से सलाम करेंगे,
पर ये तो सिर्फ ख्वाब ही रह गया,
आज वही दिन आ गया,
जब देश के नाम पर जश्न तो हुआ,
पर देश की शान-आन-बान,
हर हिंदुस्तानी का अभिन्न अंग,
और हम सब का गौरव,
अब तिरंगा नहीं रहा
अब तिरंगा नहीं रहा
जा रहा हूं तुम सबको छोड़ कर,
पर ये मेरी आजादी है, और तुम सबकी भी,
पर याद रखना मेरा नाम
देश के पहले बोला जाएगा,
आज मैं स्वतंत्र हुआ,
पर आज के दिन ही मेरा तिरंगा लहराएगा,
ये मेरा देश है, ये मेरा वतन है,
जाते-जाते कहना चाहुंगा,
"बचपन में मैंने एक ख्वाब देखा था,
मेरा तिरंगा कभी झुकेगा नही, सबको झुका देगा",
जिसका कोई स्वर नहीं, जिसकी कोई गणित,
यह तो Non-living है,
पर देश के लिए जीता-जागता इंसान है,
जरा देखो, मैं तिरंगा हूं,
हाँ, मैं वही तिरंगा हूँ
खुद का शब्दकोष और दुसरों के लिए परिभाषा हूं,
तीन नेत्र है मेरे, इसलिए तो तिरंगा हूं
मैं अब भी जीवीत हूं,
इस देश की माटी में,
मुझे बचाओ, मुझे बचाओ,
मैं तिरंगा हूं,
पहचाना नहीं मुझे,
हां मैं वही तिरंगा हूँ
हां मैं वही तिरंगा हूँ
भुल मत जाना इस तिरंगे को,
ये हमारी आजादी को बतलाता,
भूल न जाना उन वीर शहीदों को,
जिनके खून ने लिखी थी,
हमारी आजादी की गाथा,
मैं बारिश में अकेले भीगा पड़ा हूं,
यहाँ मैं अपने पैरों पर खड़ा हूं,
अब तो पहचानलो मुझे,
मैं तिरंगा हूं,
हाँ, मैं तिरंगा हूँ
हाँ, मैं तिरंगा हूँ।