मैं रहूँगी सिर्फ तेरी
मैं रहूँगी सिर्फ तेरी
बसंत की ऋतु में खिल रहे फूलों की तरह है प्यार तेरा,
पेड़ पर झुकी हुई डालियों की तरह है अंदाज तेरा,
सूरज की किरणों से निकलती हुई धूप सा है गुस्सा तेरा,
नए पत्तो की उम्मीद में इन्तज़ार करने वाले पेड़ सा है इन्तज़ार तेरा,
हवा के झोकों से खिल खिलाते फूलों सी है मुस्कुराहट तेरी,
रात में चन्द्रमा से मिलने वाली शीतलता की तरह है बातें तेरी,
बिना नशे के ही मदहोश करने वाली नशीली है आंखें तेरी,
सावन में बरसती बारिस की बूंदों की तरह है नाराज़गी तेरी,
पसंद आता है मुजे हर वक्त हर पल अंदाज तेरा,हर बातें तेरी,
मैंने तुझे अपना माना है और मैं रहूँगी सिर्फ और सिर्फ तेरी।