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Anonymous Writer

Tragedy

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Anonymous Writer

Tragedy

मैं मदहोश क्यों हूं?

मैं मदहोश क्यों हूं?

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अब मत पूछ की मैं मदहोश क्यूँ हूँ

मैं तो तेरी जुदाई के नशे में हूँ


तू संभाल लेगा मुझे ये वादे सब बेकार है

अब ठोकर के पीछे पत्थर नहीं, तेरी यादें मेहरबान है


तुझे ढूंढ ने की हर मुमकिन कोशिश की मैने

मगर तू तो बरसात की न जाने, कौन सी एक बूंद है


कैद है मेरे जज्बात उन खतों में तू पढ़ ज़रा

जमानत पर तो तेरी बेवफ़ाई आज रिहा है


लड़ रही थी तेरे लिए सबसे, तब वक्त बाज़ी मार गया

तू जो आखिरी पत्ता था मेरा, वो भी जोकर निकल गया


सीने में खंजर सा चुभता है अब चेहरा तेरा

फिर भी करवाचौथ को छलनी से तेरी तस्वीर को देख लिया


इश्क़ में चाहे गद्दार तू निकला हो

बिन्दी हटाते ही, कलंक मेरे माथे पर चिपक गया


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