मैं कवि हूं
मैं कवि हूं
मैं कवि हूं हमारा समाज और,
कविता से है गहरा नाता।
हमारे मन के उद्गार कलम से,
कागज पर बनते है कविता।।
मैं कविता के द्वारा ही समाज को,
अपना संदेश सुनाता जाता हूं।
भूले भटके लोगों को सत्पथ के
अनुगमन को प्रेरित भी करता हूं।।
बुराई की भर्त्सना और अच्छाई का,
कविता द्वारा जयघोष करता हूं।
मैं कवि हूं अपनी कविता से देश और,
समाज का हित चिंतन करता हूं।।
देश हित में खुद को मिटाने बाले,
अमर शहीदों की जयकार करता हूं।
ढोंगी स्वार्थी फरेबी मक्कारों से समाज
को सदा आगाह किया करता हूं। ।
एक कवि के लिए कितनी अहम है,
कागज कलम और कविता।
कोई भी नहीं जानता यह सिर्फ कवि
या काव्य प्रेमी ही कह समझ सकता। ।
