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मिली साहा

Abstract Inspirational

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मिली साहा

Abstract Inspirational

मैं हूँ वुमनिया

मैं हूँ वुमनिया

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( मैं हूँ वुमनिया )


मैं हूँ वुमनिया,

डरती नहीं किसी से भी,

हर जंग डटकर लड़ती हूँ,

चाहे दे दो कितनी भी चुनौतियाँ,


नित नए ताने सुन-सुनकर,

अब तो मैं फौलाद बन गई हूँ,

हार मानना मैंने सीखा नहीं है,

चाहे कैसी भी हो जाए परिस्थितियाँ,


निभाती हूं हर किरदार पूरे मन से,

पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलती हूँ,

घर के साथ मैं ऑफिस भी संभाल लेती हूँ,

फिर कहां छिप जाती मेरे बलिदान की निशानियाँ,


दिन-रात जीवन होता है अस्त-व्यस्त,

खुद के लिए सोचने का वक्त कहां मिलता है,

सब की खातिर मैं भूल गई अपना वज़ूद भी,

फिर भी लोग गढ़ते हैं कुछ ना करने की कहानियाँ,


समानता का ढिंढोरा पीटता है आज समाज,

पर मैं इस समानता का मतलब समझ नहीं पाई हूँ,

क्या औरत रूप में पैदा होकर कोई गलती कर की है जो,

कितना भी अच्छा करो काम फिर भी निकालते हैं कमियां,


मैं तो बस इतना कहूंगी आज की नारी सब पर भारी,

जो नारी को कहे कमज़ोर वही है सबसे बड़ा अनाड़ी,

हां "मैं हूँ वुमनिया" अपने प्रत्येक किरदार में मैं सशक्त हूँ,

मुझे हर दम परेशान करके बढ़ाओ ना तुम अपनी परेशानियां ।


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