STORYMIRROR

Anjneet Nijjar

Inspirational

4  

Anjneet Nijjar

Inspirational

मैं हूँ मैं

मैं हूँ मैं

1 min
240


ज़माने की नज़र में,

एक गुज़रा हुआ कल हूँ मैं,

अक्सर खोजती हूँ अपनी अहमियत मैं,

ज़माने की नज़र में,


अब थोड़ी बेपरवाह, बेफ़िक्री हो गई हूँ मैं,

अब डूब जाती हूँ चाय की प्याली

और कैफ की ग़ज़लों में

और अक्सर गुनगुनातीं हूँ मैं,


देखती हूँ रोज़ सुबह उठ कर सूरज की लाली मैं,

गमले में उगे नए पत्तों का चटकीला रंग,

तितली को उड़ते देख कर,

बच्चों की तरह ख़ुश हो जाती हूँ मैं,


ज़माने की नज़र में प्रौढ़ा नज़र आती हूँ मैं,

p>

अपनी मनपसंद साड़ी पहन कर आईना निहारती हूँ मैं,

कभी लगाती बिंदिया तो कभी हटाती हूँ मैं,

अब तो मनपसंद धुनों पर थिरकती जाती हूँ मैं


ज़माने की नज़र में परिपक्व नज़र आती हूँ मैं

आजकल देखती हूँ मनपसंद फ़िल्में,

कभी रोमांटिक नॉवल उठाती हूँ मैं,

कभी होती हूँ गंभीर तो कभी बच्चों की तरह,


खुल कर खिलखिलाती हूँ मैं,

चालीस बसंत देख कर अब फागुन ऋत में आती हूँ मैं,

ज़माने की नज़र में कुछ भी हूँ मैं,

पर अब ज़िंदगी से भरपूर नज़र आती हूँ मैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational