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Anil Jaswal

Abstract

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Anil Jaswal

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मैं हूँ ऐसा व्यक्ति

मैं हूँ ऐसा व्यक्ति

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मैं हूं ऐसा व्यक्ति,

जिसको चैन नहीं फबती,

हमेशा कुछ उटपटांग कमाता,

फिर जमाने भर से मार‌ खाता।


मुझे इतनी आदत है

बुलाने की मुसीबत,

अगर जाती हो दो कोस दूर,

तो कहता हूं,


मुझसे मिलके जाए जरूर,

जब आ जाती‌ सर पे,

तो हाथ-पांव फूल जाते मेरे,

फिर हो जाता चारों खाने चित,


आता याद इष्ट देवता तुरंत,

बहुत से मंत्र तंत्र‌ पड़ता,

किंतु पीछा कहां छूटता।


फिर मुसीबत दिखाती अपने‌ रंग,

और कर देती मुझे बेढंग,

आखिर तंग आकर,

मैदान छोड़कर भागता,


और कसम खाता,

कि आगे से रहूंगा ख़ामोश,

जिससे न उड़े‌ होश।


पर मैं बड़ा ढीठ,

मुझे कहां आती सीख,

फिर अपना वहीं हाल,

जैसे जन्मे लाल।


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