मैं घर में ही अच्छा हूँ
मैं घर में ही अच्छा हूँ
बाहर जाने में डर लगता है
हाथ मिलाने में डर लगता है
देखो कैसी ये मजबूरी है
पास आने में डर लगता है
इतना डर डर के रहूँ मैं
क्यों इतना कुछ सहूँ मैं
मैं क्या बच्चा हूँ
चलो छोडो ..मैं घर में ही अच्छा हूँ
घरवालों से बातें करो
दूर से ही मुलाक़ातें करो
अपनों के संग वक़्त बिताओ
बीते पुराने किस्से दोहराओ
ये वक़्त जो मिला है आराम का
यूहीं गवा दूँ और हवा में उड़ा दूँ
इतना तो नहीं कच्चा हूँ
मैं घर में ही अच्छा हूँ
जो मन चाहे वो खाओ
जो पसंद हो वो गीत गाओ
खुद मुस्कुराओ औरो को भी हसाओ
मन करे जब तब उठो
मन करे तब सो जाओ
लेकिन …
कुछ लोग बाहर जाकर
लड़ रहे है रक्षक बनकर
उनके बारे में सोचता हूँ, तो डरता हूँ
मन में तो फ़िक्र करता हूँ
खुद के लिए और उनके लिए
नहीं जाऊंगा घर से बाहर
ये कहता हूँ इतना तो सच्चा हूँ
हाँ….मैं घर में ही अच्छा हूँ
हाँ….मैं घर में ही अच्छा हूँ।