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Ritu Munjal

Drama Classics Inspirational

4.8  

Ritu Munjal

Drama Classics Inspirational

मैं एक नारी हूँ

मैं एक नारी हूँ

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वसुंधरा पर सजता है जीवन

पशु पक्षी हो, जीव जंतु या फिर हो कोई वन।

रत्नगर्भा कहें या कहें पृथ्वी

प्रणो को स्वयं पर समेट है, यह भू , एक स्त्री।


जीवन मेरे ही गर्भ में आता है,

और धरा पर मैं ही उसको लाती हूँ।

मन की कोमल पर इरादो की हूँ पक्की,

धरती हो या माँ दोनो ही है नारी।


अपनी कहानी आपको सुनती, मैं एक नारी हूँ,

जी हाँ ! मैं एक नारी हूँ, मैं एक नारी हूँ।

"शिव"स्त्री बिना अधुरे हैं और शव कहलाते है,

इस समाज के प्राणी मुझे निर्बल समझने की भूल कर जाते है।


मेरे ही गर्भ से जन्म ले, मुझे गर्भ मे ही मार देते हैं।

मुझ बिन जीवन नही है, पर ये ना समझ पाते हैं।

मेरा जीवन सीमित करना, स्वयं को इनका धोखा है।

मुझ बिन संसार न बड़ेगा समाज ने ये ना सोचा है।


मैं कणं कणं में जीवन प्रदान करने वली हूँ।

अपनी कहानी आपको सुनती, मैं एक नारी हूँ।

जी हाँ ! मैं एक नारी हूँ, मैं एक नारी हूँ

कभी मुझे वेश्या बनाते, तो कभी करता मेरा चीरहरण यह संसार,


जाने क्यों भूल जाता कि मुझ में है शक्ति अपार।

धरती और मुझ मे सहने की है ताकत भरपूर,

पर हमारी अन्तर आत्मा है हमारा गरूर।

समय जानता है जब जब धरती पर पाप की माया छाई है,


तब तब धरती ने क्रोधित हो कर प्रलय रात्रि दिखायी है।

मुझ पर भी जब जब अत्याचार बड़ा है,

सौम्या रूप, छोड़ मैने भी काली का रूप धरा है।

पार्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, मैं ही काली हूँ,


अपनी कहानी आपको सुनाती मैं एक नारी हूँ।

जी हां, मैं एक नारी हूँ मैं एक नारी हूँ,

सेवा मे सदा ही रहना, बलिदान करना,

अपने फर्ज को स्वयं से बड़कर ही जाना।

मेरे सौम्य रूप को मेरी कमजोरी न समझो,

मेरा एक सशक्त रूप है, इस बात को जान लो।


क्योंकि पदमावति, पन्नाधाय, मनु हो

या जीजाबाई, मैं ही हूँ,

अपनी कहानी आपको सुनाती मैं एक नारी हूँ।

जी हां, मैं एक नारी हूँ , मैं एक नारी हूँ

स्वयं की आवाज हूँ, अपने पर विश्वास है,  

हर कदम हर पल जीतने की आस है।

ईश ने भी अपने से बड़ कर मुझे है माना,


हर युग, हर काल में सम्मान मुझे मिले यही समझाया।

मेरी यह कहानी आपको यह बताती है

मेरा शांतिपन प्रगति करवाता है ,  

वरना मेरा रोष, क्रोध मुझे ज्वालामुखी बनाता है 

विश्व शांति मेरे शांत रूप से रह पाएगी,


प्रतिधात मेरा अंतरिक्ष में हलचल मचाएगी।

जननी अपनी का सम्मान करो लोक प्राणी 

इसी से ही जीवन में उन्नति खुशहाली है आनी

क्योंकि धरती और मैं विश्व की महतारी हूँ 


आपको अपनी कहानी सुनाती में एक नारी है

जी हाँ, मैं एक नारी हूँ मैं एक नारी हूँ।


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