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neha chaudhary

Abstract

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neha chaudhary

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मैं डरती हूँ........

मैं डरती हूँ........

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मैं कहने से डरती हूं

घुट घुट के मरती हूं

ऐ खुदा तूने दी ऐसी जिंदगी

जिसे मर मर के जीती हूं l

तूने दुनियां बनायीं मेरे लिए

पर अपना अस्तित्व ढूढती हूं l


मैं कहने से डरती हूं l

हाँ हक़ बहुत दिए हैँ मुझे,

पर मेरे सारे हकों को छीनकर l

जब पैदा हुई तो शोक हुआ,

बेटी है साहब बेटी

इस बात का प्रलाप हुआ l


बड़ी हुई तो मज़बूरी  बनी

हाथों को पीले करने का ढोंग हुआ l

ये लड़की नहीं गाये  है

 ऐसे शब्दों का गान सुना l


बो सच ही तो कह गए चचा,

एक खूटे से खोल दिया

और दूजे में बाँध दिया l

फिर बड़े प्यार से बोले

ये है हमारी रानी बिटिया l


अब बस इतना बता मुझे

जिसने जैसे चाहा

वैसे जीवन को ढाला

मैंने क्या क्या सहा,

ये कब किसने जाना l


अब विनती बस खुदा से

इतनी सी करती हूं

बेटियां मत भेज,

मैं बेटी होकर डरती हूं

मैं बेटी होकर डरती हूं।


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