मैं भीग चुका था
मैं भीग चुका था

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मैं यूँ ही,
तन्हा बैठा था एक रोज़,
सहसा मन में, तेरे
यादों के बादल घिर आये,
और फिर आँखों से
भावनाओं की बारिश होने लगी।
कुछ देर की बरसात के बाद,
बादल छटे, मन साफ़ हो गया,
तेरी यादें धुल गई,
थोड़ी देर में, बरसात भी थम गई,
पर मैं पूरा भीग चुका था,
तेरी उन यादों में, मैं डूब चुका था ।।