मैं भारत की नारी
मैं भारत की नारी
विश्व तिरंगा लहराऊँगी मैं भारत की नारी हूँ।
हर पल आगे बढ़ती जाऊँ नहीं रही बेचारी हूँ।।
चट्टानों सा जिगरा मेरा दुश्मन थर-थर काँप रहा;
कर्म धर्म से भाग्य बनाऊँ नहीं किस्मत से हारी हूँ।।
विश्व तिरंगा लहराऊँगी मैं भारत की नारी हूँ।
हर पल आगे बढ़ती जाऊँ नहीं रही बेचारी हूँ।।
चट्टानों सा जिगरा मेरा दुश्मन थर-थर काँप रहा;
कर्म धर्म से भाग्य बनाऊँ नहीं किस्मत से हारी हूँ।।