" मैं बेचारा तन्हा अकेला "
" मैं बेचारा तन्हा अकेला "
मैं बेचारा तन्हा अकेला
भीगी राहों पर
ढूँढ रहा, खुद को, कहीं |
सड़कें भीगीं, शहर धुंधला,
आसमान में घना कोहरा |
भीगे आँखों से छलके
यादों की धार,
हर बूँद में गूँजे तेरा प्यार।
शहर की भीड़ में, मैं खुद से पूछता,
अपनी परछाई से ही अब मैं रूठता।
पत्थरों में चमक, पर दिल में अँधेरा,
टूटे सपनों सा लगता जीवन |
खोया है कुछ, या पाया सवेरा?
मैं मुस्कुराता नहीं मगर,
हार भी मानता नहीं |
सपनों की राख से,
गढ़ता कोई सितारा।
-बाल कृष्ण मिश्रा
मोबाइल : 8700462852
