STORYMIRROR

Bal Krishna Mishra

Classics

4  

Bal Krishna Mishra

Classics

" मैं बेचारा तन्हा अकेला "

" मैं बेचारा तन्हा अकेला "

1 min
34


मैं बेचारा तन्हा अकेला

भीगी राहों पर

ढूँढ रहा, खुद को, कहीं |


सड़कें भीगीं, शहर धुंधला,

आसमान में घना कोहरा |


भीगे आँखों से छलके

यादों की धार,

हर बूँद में गूँजे तेरा प्यार।


शहर की भीड़ में, मैं खुद से पूछता,

अपनी परछाई से ही अब मैं रूठता।


पत्थरों में चमक, पर दिल में अँधेरा,

टूटे सपनों सा लगता जीवन |

खोया है कुछ, या पाया सवेरा?


मैं मुस्कुराता नहीं मगर,

हार भी मानता नहीं |

सपनों की राख से,

गढ़ता कोई सितारा।


-बाल कृष्ण मिश्रा

मोबाइल : 8700462852


এই বিষয়বস্তু রেট
প্রবেশ করুন

Similar hindi poem from Classics