STORYMIRROR

Bal Krishna Mishra

Classics

4  

Bal Krishna Mishra

Classics

“मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम”

“मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम”

1 min
50


मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम

उगता सूरज तिलक लगाता

उज्जवल चंद्र किरण की वर्षा ,

नतमस्तक हूँ तेरे चरणों में

तेरे चरणों में चारों धाम |

मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||


तेरी माटी शीतल चंदन ,

जिसमें खेले खुद रघुनन्दन ।

जिसमें कान्हा ने जन्म लिया ,

कभी खाई , कभी लेप किया ।


सीता की मर्यादा यहाँ ,

यहाँ मीरा का प्रेम |


मन के दर्पण का तू दर्शन

तेरे आँचल में संस्कृति का मान।

मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||


कल कल करती नदियां

अपनी संगीत सुनाए।

चू चू करती चिड़िया

अपनी गीत सुनाए।


मातृभूमि की पावन धरा ,

हर हृदय में प्रेम संजोए

काशी विश्वनाथ की आरती,

हर मन में दीप जलाए |

आध्यात्म की गहराई यहाँ

और विज्ञान की उड़ान |

मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||


दिव्य अलौकिक अजर अमर

कंकर भी बन जाता यहाँ शंकर |


बलिदानों की गाथा तू ,

तू वीरों की पहचान |

जय-जय माँ भारती,

जय यह पवित्र धरा महान

मातृभूमि ( माँ ) तुझे प्रणाम ||


~ बाल कृष्ण मिश्रा

मोबाइल : 8700462852


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics