मैं औरत हूँ
मैं औरत हूँ




मैं औरत हूँ
तम में प्रकाश हूँ
नम हुई तो धरती
उड़ी तो, ऊँचा आकाश हूँ ।
मैं औरत हूँ---।
मोहब्बतों की कहानी हूँ
जौहर हुई तो कुर्बानी हूँ
उग्र हुई तो महाकाली
जग उद्धारा तो माँ भवानी हूँ।
मैं औरत हूँ---।
इश्क की आरजू हूँ
परवानों की जुस्तजू हूँ
जली तो शमा
बुझी तो घोर तमा हूँ ।
मैं औरत हूँ---।
पिघली तो मोम हूँ
धड़की तो रोम हूँ
आहुति में सोम हूँ
हवन कुंड में होम हूँ।
मैं औरत हूँ---।
लड़ू तो, यमराज को हरा जाती हूँ
ममता में पसीजी, दूध से भरी छाती हूँ
जाँबाज-रणकुँवरों को लहू जिगर का पिला देती हूँ
खड़े पहर, दुश्मनों के दाँत खट्टे करवा देती हूँ ।
मैं औरत हूँ---।
गिरी तो अबला हूँ
संभली तो सबला हूँ
मैं देवी-शक्ति अलंकृत हूँ
फिर भी मैं क्यों कलंकित हूँ---?
मैं औरत हूँ---।
युगों-युगों से जन-जन की अरदास हूँ
ब्रह्मा की कृति बड़ी खास हूँ
कठिन डगर में अडिग विश्वास हूँ
फिर भी क्यों अंतस तक उदास हूँ---?
मैं औरत हूँ---।