मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई


एक दिन मैंने अपनी
तन्हाई से पूछा
"यह जीवन क्या है ?
प्रेम, हर्ष, सफलता को पाना
ही जीवन है, या कुछ और
है यह जीवन ?"
तन्हाई हँसकर बोली
"सुख-दुःख, हर्ष-विषाद और
प्रेम-विरह का संगम ही तो
जीवन है, और
जिस दिन मानव इसे समझेगा।
मुझे पाकर भी खुश रहेगा।