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मैं और मेरे पतिदेव

मैं और मेरे पतिदेव

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सच्ची सच्ची बताना सखियों

कभी कभी इस मोबाइल से 

उकताहट सी नहीं हो जाती

क्या हर समय खुद भी मोबाइल लिए रहो

और अपने इन्हें जब देखो 

कान में इयर फोन लगाए देखो।


ये अकेले अपने में ही जब मुस्करा रहे होते हैं

मेरे तो सच कहूं तन मन में 

जैसे आग सी लग जाती है

कभी गुस्से में इनके कान से तार निकाल देती हूं

तो इनका पारा एक दम से चढ़ जाता है।


क्या है, ये सब ना किया करो

तुम्हारा सब काम निपटा कर तो बैठा हूं

सब दवाई वगैरह और बाजार से सब सामान ला दिया

सब काम निपटा दिया

अब इनको कौन समझाए, ये तो घ

र का काम था

अरे कभी कुछ हमारे लिए भी तो करो। 


कभी हमसे दो चार प्यार की बातें करो 

तो कहेंगे अच्छा अब तुम जो कहना है कहो

अरे हमारा भी मन करता है कि कभी ये कहें

चलो तैयार हो जाओ लॉन्ग ड्राइव पर चले

या फिर चलो कोई मूवी ही देख आएं।


या कभी ऐसे ही कुछ पुरानी 

कुछ रूमानी बातें याद करे

अब इन्हें सब ये सब भाता नहीं है

बस मोदी और केजरीवाल की बातें 

जितनी चाहे करा लो

कभी कभी हमको तो लगता है 

सखियों जैसे हम तो अभी भी जवां है।


और मेरे पतिदेव जैसे बुढ़हा से गए हैं।



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