मैं और जमाना
मैं और जमाना


जमाने को देखा, जब अपनी आंखो से
पता नहीं क्यों, धुंधला सा दिख रहा था
किस किस पर करू विश्वास
किस किस पर रखूं आशा
पता नहीं क्यों समझ में नहींं आ रहा था।
जमाने के साथ लगा रहने
जमाने के साथ लगा चलने
लोगो के साथ लगा ढलने
तो देखा की
बहुत ही जिम्मेवारी है
हिम्मत और साहस की पहरेदारी है
मुझमें आगे बढ़ने की ढाढस नहीं आ रहा था
पता नहीं क्यों समझ में नहींं आ रहा था।
माना की बचपना था मुझमें
माना की अज्ञानता थी मुझमें
माना की असरलता थी मुझमें
माना की अपरिपक्वता थी मुझमें
फिर भी गरीबी ने समय ने पहले
सब कुछ समझ डाल दी थी मुझमें
पता नहीं क्यों समझ में नहींं आ रहा था।
माता पिता ने भी कहा कुछ नहींं करेगा ये
भाई बंधु ने भी कहा कुछ नहींं पढ़ेगा ये
पड़ोसी ने भी कहा राह भटकेगा ये
रिस्तेदारो ने कहा नहींं चल पाएगा ये
दिमाग नहीं है इसके पास
बुद्धिमान नहीं बन पाएगा ये
लोग बस यू ही ब
ोलते आ रहे थे
मैं भी उन्हें सुनते जा रहा था
पता नहीं क्यों समझ में नहींं आ रहा था।
लेकिन समय ने करवट बदला
मैट्रिक में वो नंबर लाया जो सबसे ज्यादा था
दुबारा पीछे मुड़कर देखा नहीं
क्यू गरीबी भी मेहरबान जो सबसे ज्यादा था
शिक्षा से ही जीवन में बदलाव करना था
जो मुझे लूजर समझ रहे थे
उनको भी समझाना था
उन्हें समझाने से पहले मुझे समझना था
मैं समझ गया था
ना जमाने को समझना है
ना माता पिता को समझना है
ना रिस्तेदारो को समझना है
ना आस पड़ोस को समझना है
बस जिस दिन समझ लिया अपने आपको
सब कुछ समझ में आ जायेगा
पता नहीं क्यों अब सब कुछ समझ में आ रहा था
जमाने को मैं और मुझे जमाना समझ पा रहा था
जीवन एक अनमोल उपहार है
आपके अपनो का सरोकार है
खुद भी खुश रहो दूसरो को भी रखो
खुशियां पाने के लिए खुशियां बाट रहा था
पता चल गया और सब समझ में आ रहा था
पता चल गया और सब समझ में आ रहा था।