मायूस सी रहती हूं
मायूस सी रहती हूं
मायूस सी रहती है,
शादी के बाद भी,
रूठी सी है अपनी जिंदगी से
अब किसी से शिकायत नहीं करती,
किससे कहे अपने दिल का हाल।
दिल उनका जब जल गया
लाशें बिछि वीर जवानों की।
कल मांग में सिंदूर रचा
मेहँदी लगी शगुन की
आज शहीद हुया माँ तेरा लाल था,
मेरी जान था ?
क्या जानू प्रेम कहानी
लिखे जो पन्नो पर
टूटी कलम पहले थी
ऐसे थे मेरे वीर जवान की कहानी,
जिनकी किस्मत रूठी थी
मुसीबत जब जब आई
आगे वीर जवान थे
लड़खड़ाते पैर थे
हौसला बुलंद थे
शहीद हुये जो वो
मेरे शहीद भाई थे
न त्यौहार का मज़ा
न शौक पूरे हुया
फिर भी अमर हुए
वो माँ भारती के लाल थे।