मासूम
मासूम
खुशियों की सौगात ले के आए वो,
खेल सारे पटाखे ओर दिये लाए वो,
सोचा मैंने आओ इस बार मनाये,
दीवाली कुछ इस कदर,
चली मैं सब मिठाई, पटाखे और दीये
लेकर अनाथालय वहां जाकर देखा मैंने,
मासूम से बच्चों के आंखों में एक दर्द,
तब पूछा मैंने उन बच्चों को क्यों आँखों में है
दर्द, आंख में आँसू लिए बोले काश
हमारा भी होता एक परिवार, तो हम भी
मनाते हर त्यौहार उनके संग फिर खोली,
खुशियों की पिटारी हमने उसे देख कर रह
गए सब दंग, मनाईं दीवाली उन,
बच्चों के संग, मासूम से बच्चों
की खुशियां देख आ गए हम सब की
आंखों में पानी।