मासूम
मासूम
मासूम सा था वो चेहरा पलभर में सिमट गया।
मात पिता का लाडला आज ख़ामोश हो गया।
क्या पता था ऎसा दिन आज छोड़ चला गया।
बिछुड़ गया एक पलभर में वो मंज़र आ गया।
इकलौता सा वो खज़ाना आज रूला ही गया।
भविष्य भी ना देखा जिसने वो नन्हा सो गया।
गहरी सी नींद में अपनी निभद्रलीन हो गया।
डूबा असमंजस परिवार वो अश्रुवन हो गया।