STORYMIRROR

Ishika Jain

Children

0.6  

Ishika Jain

Children

मासूम बचपन

मासूम बचपन

1 min
14.2K


एक बार यह जाएगा,

कभी न वापस आ पाएगा।

होता था चेहरों पर भोलापन,

सुनहरी यादों का घर बचपन।

चॉकलेट, टॉफी खाते थे जब सब,

पीछे घूमे हमारे सब।

खेलते थे गुड़िया से जब हम,

दूर हो जाता था सूनापन।

कहानी में जब चुड़ैल हमें डराती थी,

परी बनकर माँ आ जाती थी।

उछल कूद मस्ती में झूमे,

नाचे-गाए, इधर-उधर घूमे।

यही था वह अनमोल रतन,

जिससे मोह लेता सबका मन।

एक बार यह जाएगा,

कभी न वापस आ पाएगा।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Ishika Jain

Similar hindi poem from Children