मासी
मासी
माँ की बहन मासी होती है।
मासी माँ जैसी होती हैं
पर माँ से बढ़कर होती हैं।
मेरे देश में यह रिश्ता आज भी जिंदा है।
ननिहाल में पहुँचे तो
सबसे पहले गोद में मासी ही उठाती हैं।
माँ-सा अधिकार जताती हैं।
सबसे पहले मासी हमें खाना खिलाती हैं।
हमारी छोटी-बड़ी सब फ़रमाइशें पूरी करती हैं।
रोने पर माँ से पहले गले लगाती हैं,
चुप कराने की आस में
घर के हर कोने में घुमा लाती हैं।
हम उनकी और वे हमारी दुनिया बन जाती हैं।
मासी माँ से बढ़कर होती हैं।
जब ससुराल चली जाती हैं
तो भी हमसे प्यार जताती हैं।
हमारे हक के लिए हमारे अपनों से लड़ जाती हैं।
हमारी छोटी-छोटी इच्छाएँ पूरी करती हैं।
कभी-कभी चुपके से कुछ हाथ में थमा
तेरे लिए, कह जाती हैं।
सब से छुपा हमें हृदय में रखती हैं।
अपने बच्चों से ज्यादा प्यार देती हैं।
मासी माँ से बढ़कर होती हैं।
फिर उम्र दस्तक देती है
तब भी वो फोन पर बातें करती हैं।
सामर्थ्य न होने पर भी पूछती हैं
कुछ चाहिए !
फिर मैं नम आँखों से कहती हूँ ,
कुछ नहीं चाहिए।
बस आप यूँ ही मुस्कुराती रहिए।
फिर भी वह आते-जाते
किसी न किसी के हाथ कुछ पहुँचा देती हैं।
बचपन को सदा जिन्दा रखती हैं।
मासी माँ से बढ़कर होती हैं।
जो बात माँ से नहीं होती, मासी से होती हैं।
मासी समझाते हुए सिर पर हाथ फेरती हैं।
जैसे सारी बलायें हमारी ले लेती हैं।
हमें अनगिनत आशीर्वाद दे देती हैं।
ये अनमोल आशीर्वाद सदा साथ रहते हैं।
रक्षा कवच बन रक्षा करते हैं।
कभी परिस्थितियों से लड़
अपना जीवन न्योछावर कर
बच्चों का जीवन संवार देती हैं।
मासी ऐसी ही प्यारी-सी होती हैं।
कुछ रिश्ते सदा दिल में ही बसते हैं।
इन खूबसूरत रिश्तों में जीवन बसते हैं।
रिश्ते प्यार में बसते हैं।
और मासी सदा दिल में ही बसती हैं।
मासी माँ से बढ़कर होती हैं।
