STORYMIRROR

राम शरण सेठ

Abstract Others

4  

राम शरण सेठ

Abstract Others

मानवता:हम

मानवता:हम

1 min
255

हम और आप मिलकर मानवता।

को आगे बढ़ाते हैं।।


जो जीवन में आने वाले मुसीबतों।

का सामना करते हैं।।

धन धान्य समृद्धि हम हो रहे हैं।

सामाजिक उत्थान हमारा हो रहा है ।।


मानवीय संवेदना का प्रसार कम हो रहा है।

जिसका नतीजा समाज में हम सबको दिख रहा है।।


वैज्ञानिक और भौतिक विकास की ओर हम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।

फिर भी मानवता में हम पीछे हटते जा रहे हैं।।

आओ आज हम मिलकर ।

इस मानवता रूपी संदेश को विश्व स्तर पर प्रसारित कर दें ।।


कभी-कभी हम समाज के लिए। 

निःशुल्क काम करने की आदत अपने में कर ले।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract