मानव मन के रूप
मानव मन के रूप
एक मन बोले यह करना अच्छा है
एक मन बोले इसमें भरपूर मजा है
एक समझाये कुछ सब के लिए करो
एक समझाये कभी तो अपने भी हो लो
दोनों ही तो मानव मन के रूप
एक स्वच्छ तो एक कुरूप
एक सत् का है स्वरुप
दूजा असत्य का प्रतिरूप
ये विकल्प मिलते सामने खड़े
हर पल हर वक़्त आप से लड़े
कोई मार्ग की अच्छाई गिनाए
कोई दुरूहता का पाठ पढ़ाये
सही को जो आपने चयन किया
दूजे को जड़ से ही खत्म किया
मार्ग भले लंबी पर मंजिल तक जायेगी
एक समर्थ और सफल इंसान बनायेगी।
