Sumit. Malhotra
Action Inspirational
मत खोना कभी भी अपने आप को,
संभालें रखना हमेशा हौसले अपने।
माना जीवन में कोई उमंग नहीं है,
आपकी कोई कटी पतंग तो नहीं है।
अपनी फितरत को घर में कैद मत करो,
रोशनी हो खिड़कियों के पार जाओ ना।
मोहब्बत का मौ...
प्रकृति के गज...
पानी की प्रत्...
प्रकृति के बग...
बेमौसम बरसात
बरसात में बाह...
बारिश का मौसम...
तेरा मुझसे प्...
काश पाकीज़ा इ...
स्वच्छता से र...
सृष्टि ये चलती तुझसे ही, देवों को भी रचती है तू, सृष्टि ये चलती तुझसे ही, देवों को भी रचती है तू,
हमें लड़ना हैं ऐसी बुराई से पूंजीपतियों के अन्याय से, अत्याचार से हमें लड़ना हैं ऐसी बुराई से पूंजीपतियों के अन्याय से, अत्याचार से
पक्षियों की चहचहाहट कुछ कहती, चलो उसे भी सुनते चलो, पक्षियों की चहचहाहट कुछ कहती, चलो उसे भी सुनते चलो,
हरियाली से आज जरा, नव धरा सृजन करें, हरियाली से आज जरा, नव धरा सृजन करें,
शूल का बिछौना ही सफलता का समाधान शूल का बिछौना ही सफलता का समाधान
कोई होटल में ही जाकर अपना नाश्ता बनवाता, सोचनीय है ! धनवान कौन ? कोई होटल में ही जाकर अपना नाश्ता बनवाता, सोचनीय है ! धनवान कौन ?
करो तिलक अब पावन रज का, गीत गायों देशप्रेम का। करो तिलक अब पावन रज का, गीत गायों देशप्रेम का।
राष्ट्र को न झुकने देंगे, जन-जन की हुंकारी है। विजय दिवस मनाकर, तिरंगे का मान किया। राष्ट्र को न झुकने देंगे, जन-जन की हुंकारी है। विजय दिवस मनाकर, तिरंगे ...
रातें तमाम जिंदगी की होकर परेशान काटता रहा। रातें तमाम जिंदगी की होकर परेशान काटता रहा।
युग सैनिक ही बन कर अब तो नवनिर्माण करना है, युग सैनिक ही बन कर अब तो नवनिर्माण करना है,
भारत या भारत का आम नागरिक ! बता ज़रा, क्या पूरी तरह आत्मनिर्भर है रे ? भारत या भारत का आम नागरिक ! बता ज़रा, क्या पूरी तरह आत्मनिर्भर है रे ?
क्या है मेरी पहचान, कब तक धुंधली रहेगी, औरत ने है ये सवाल उठाया। क्या है मेरी पहचान, कब तक धुंधली रहेगी, औरत ने है ये सवाल उठाया।
फिर काँटे चुभने की शिकायत क्यों, फिर काँटे चुभने की शिकायत क्यों,
निष्फल धूर्तों के प्रपंच करें साकार करें मंगल सपने। निष्फल धूर्तों के प्रपंच करें साकार करें मंगल सपने।
अहिंसा का मार्ग दिखाते हैं, अटल सौगंध हम खाते हैं । अहिंसा का मार्ग दिखाते हैं, अटल सौगंध हम खाते हैं ।
मातृभूमि के कर्ज हैं मुझ पर, कुछ अंश ही चुकता हूँ मातृभूमि के कर्ज हैं मुझ पर, कुछ अंश ही चुकता हूँ
अब तक न कोई बच पाया है और न बच पाएगा कभी। अब तक न कोई बच पाया है और न बच पाएगा कभी।
छापना बंद कर दो, स्त्रियों ! कभी तुम भी तो भारत बंद कर दो। छापना बंद कर दो, स्त्रियों ! कभी तुम भी तो भारत बंद कर दो।
सेवा से मिल पायेगा, जाने न ये भटका राही, वो कैसे तुझे पाएगा, वो कैसे तुझे पायेगा।। सेवा से मिल पायेगा, जाने न ये भटका राही, वो कैसे तुझे पाएगा, वो कैसे तु...
दिल करता है मन की सभी अभिलाषाएँ पूरी करूँ, मन चाहता है, अपनी खुशियों के पल खुद बुनूँ , दिल करता है मन की सभी अभिलाषाएँ पूरी करूँ, मन चाहता है, अपनी खुशियों के पल खु...