माननी नहीं हमने है हार
माननी नहीं हमने है हार
निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार
होवें जो ये प्रतिकूल भी तो- भी माननी नहीं हमने है हार।
सुख -दुख से भरा है ये जीवन -एक से दिन कभी न हैं रहते,
धूप और छांव से आते जाते हैं -रात-दिन से बदलते ये रहते,
पंख लगाकर उड़ जाता है सुख -बीतते दिन नहीं दुख सहते।
सुख की तरह दुख भी तो अपना है -करना ही होगा स्वीकार,
निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार,
होवें जो ये प्रतिकूल भी तो -भी माननी नहीं हमने है हार।
चुनौती रहित अक्सर होते हैं सुख -चुनौती भरे दुख हैं होते,
चुनौतियों में नए पथ हैं मिलते -बीत जाते हैं सुख
सोते-सोते,
संघर्ष ही तो है जीवन आधार -सफल होते जो धीरज न खोते।
सफलता जो मिलती है संघर्ष से -देती है हमको ख़ुशियाँ अपार,
निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार,
होवें जो ये प्रतिकूल भी तो -भी माननी नहीं हमने है हार।
सीख सदा उनसे ही लें- जो हरदम आगे ही बढ़ते रहे हैं,
शुभता के जो आदर्श हैं -और कदम आगे जो रखते रहे हैं,
परमार्थ भाव है जिस दिल में -प्रभु सहायक उसी के रहे हैं।
साथ देगा उसी का जमाना -बांटता जो ग़म लुटाता है प्यार ,
निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार,
होवें जो ये प्रतिकूल भी तो -भी माननी नहीं हमने है हार।