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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

माननी नहीं हमने है हार

माननी नहीं हमने है हार

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निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार

होवें जो ये प्रतिकूल भी तो- भी माननी नहीं हमने है हार।


सुख -दुख से भरा है ये जीवन -एक से दिन कभी न हैं रहते,

धूप और छांव से आते जाते हैं -रात-दिन से बदलते ये रहते,

पंख लगाकर उड़ जाता है सुख -बीतते दिन नहीं दुख सहते।

सुख की तरह दुख भी तो अपना है -करना ही होगा स्वीकार,

निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार,

होवें जो ये प्रतिकूल भी तो -भी माननी नहीं हमने है हार।


चुनौती रहित अक्सर होते हैं सुख -चुनौती भरे दुख हैं होते,

चुनौतियों में नए पथ हैं मिलते -बीत जाते हैं सुख सोते-सोते,

संघर्ष ही तो है जीवन आधार -सफल होते जो धीरज न खोते।

सफलता जो मिलती है संघर्ष से -देती है हमको ख़ुशियाँ अपार,

निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार,

होवें जो ये प्रतिकूल भी तो -भी माननी नहीं हमने है हार।


सीख सदा उनसे ही लें- जो हरदम आगे ही बढ़ते रहे हैं,

शुभता के जो आदर्श हैं -और कदम आगे जो रखते रहे हैं,

परमार्थ भाव है जिस दिल में -प्रभु सहायक उसी के रहे हैं।

साथ देगा उसी का जमाना -बांटता जो ग़म लुटाता है प्यार ,

निज परिस्थितियों को हर हाल में -कर लेवें हम स्वीकार,

होवें जो ये प्रतिकूल भी तो -भी माननी नहीं हमने है हार।


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