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niraj shah

Drama

3  

niraj shah

Drama

मांझी

मांझी

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पोशीदा सा एक कमरा है मांझी का

जो हमेशा बंद रहता है

यादों से बसा रहता है,


कुछ मीठी यादें, कुछ नमकीन  

कुछ खुशहाल तो कुछ गमगीन 

कभी दस्तक सुनाई देती है....


भीतर से

कभी यादें सदायें देती है.... 

भीतर से,


चला जाता हूँ मिलने अकसर

जिस्म तो मिलकर लौट आता है 

दिल कुछ और दिन के लिए 

वहीं रुक जाता है।


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