माँ
माँ
जन्नत कैसी होती है पता नहीं पर मैने मां को देखा है।
माँ वो शख्स है जिसे मैने हर उम्र में रिश्तों पर कुर्बान होते देखा है,
वो जननी यूँ तो पर बच्चो के लिए उसको बच्चो के आगे भी झुकते देखा है।
जन्नत कैसी होती है पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।
कोई मोती नहीं हम पर उसे सबको बांधता हुआ मला का धागा बनते देखा है,,
दिल के अहसास जो बिन कह समझ जाय वो अहसास ए दिल बनते देखा है।
जन्नत कैसी होती हैं पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।।
पेट भरते अब बस सब अपना मैने उसे सबका पेट भर भूखा रहते देखा है,,
वो मॉं ही तो है जिसको मैने सबकी खातिर अक्सर खुद की ख्वाहिश भी अक्सर मारते देखा है।
जन्नत कैसी होती हैं पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।
बच्चो के लिए उसको खुद की डिग्रियां किसी कोने में दबाते देखा है,,
वहीं तो है जिसको मैने खुद का भविष्य परिवार के लिए न्योछावर करते देखा है।
जन्नत कैसी होती है पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।
सबकी घुड़कियों को सुन उसको मैने आंचल में मुंह छिपा कर अक्सर रोते देखा है,,
जब बारी किसी और की होती रोने की तो उसको पल्लू से अपने सबके आंसू पोंछते देखा है।
जन्नत कैसी होती हैं पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।
मैने उसको सबकी खातिर एक मशीन की तरह दिन रात चलते देखा है ,,
जैसे नींद भी ना आती हो उसे जैसे ऐसे सब पर नींदे कुर्बान करते देखा है ।
जन्नत कैसी होती हैं पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।
हर कोई जीता अब अपनी खुशी की खातिर जो सबकी खुशी में जो खुश हो जाय
उस परमात्मा जैसे मैने एक शख्स को देखा है,,
हा धरती पर ही जैसे सबने माँ के रुप उस खुदा को देखा है ।
जन्नत कैसी होती हैं पता नहीं पर मैने माँ को देखा है।
हस्ताक्षर उस परमात्मा का माँ के रूप में मैने सबकी जिंदगी में देखा है,,
जो धरती पर ही जिंदगी को जन्नत करदे मैने जिंदगी में उस शख्स को देखा है ।।
हाँ मैने माँ को देखा है , हा मैने माँ को देखा है , हा मैने माँ को देखा है।