माँ
माँ
जननी हो तुम
ममता सा आँचल फैलाए
स्नेह करूणा निस्वार्थ बरसाती हो
दूर कर अंधियारे को
जीवन में उजियारा लाती हो।
गोद तुम्हारी
है मेरा आशियाना
लोरी से तुम मिठास भर देती हो
आशीषों से अपने
जीवन में रंग भर देती हो ।
मेरी चेतना बन कर
वेदना हर लेती हो
जादूई एहसास से
नम आखों में खुशियाँ भर देती हो ।
कभी शिक्षिका बन
नए नए पाठ पढ़ाती हो
कभी सहायिका बन
डगमग राह पर चलना सिखलाती हो।
मेरे बचपन की
प्रिय मित्र हो तुम
अपने संस्कारों के बीजों से
जीवन भर साथ निभाती हो ।
मेरी सफलता का
परिश्रम हो तुम
मुझे तराशने वाली जौहरी हो तुम
मेरी पहचान का आधार हो तुम
मेरे लिए मेरा संसार हो तुम
मेरे लिए मेरा संसार हो तुम।
